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राजकीय योजना

भामाशाह योजना

भामाशाह योजना राजस्थान सरकार की महिला वित्तीय सशक्तीकरण की सबसे बड़ी योजना है। मुख्यमंत्री श्रीमती वसुन्धरा राजे सिंधिया ने 15 अगस्त, 2014 को मेवाड़ अंचल के उदयपुर शहर से इस योजना का शुभारंभ किया। यह ड्रीम प्रोजेक्ट देश की आजादी के पावन दिवस पर प्रदेश की करीब डेढ़ करोड़ महिलाओं के लिये 'वित्तीय आजादी' का उपहार है, जो उन्हें आर्थिक रूप से परिवार पर निर्भर रहने की मजबूरी से मुक्त करेगा। इसके माध्यम से भाजपा सरकार की विभिन्न योजनाओं के तहत मिलने वाले लाभ, इन्हीं बैंक खातों में जमा होंगे। यह योजना प्रदेश की नारी शक्ति को एकता के सूत्र में बांधकर आर्थिक अधिकार देने का प्रयास भी है।

भामाशाह योजना के तहत महिलाओं को क्या क्या लाभ दिए जायेंगे आईये जानते है :-

1. यह योजना मुख्यत राज्य की सरकारी योजनाओं का लाभ प्रदेश की गरीब महिलाओं को सीधे सीधे पहुँचाने के लिए शुरू की गयी है ।
2. इस योजना के अंतर्गत राज्य की डेढ़ करोड़ महिलाओं का पंजीयन किया जायेगा और उनका बैंक खाता खोला जायेगा ।
3. महिलाओं को बैंक खाता खोलने के लिए भामाशाह कार्ड के लिए पंजीयन होना आवश्यक होगा ।
4. इस योजना के तहत परिवार की प्रमुख महिला को एक बायोमेट्रिक कार्ड जारी किया जायेगा और एक अनुमान के अनुसार सरकार के पास राज्य की सभी महिलाओं का बायोमेट्रिक डेटा जो है वो मार्च २०१५ तक उपलब्ध हो जायेगा ।
5. इस योजना में महिलाओं को तीस हज़ार तक का मुफ्त मेडिकल बीमा और गंभीर बीमारी की अवस्था में तीन लाख तक की सहायता दी जाएगी ।
6. इस योजना के तहत स्टूडेंट्स और विक्लांग लोगों के लिए एक विशेष कार्ड जारी किया जाएगा। इससे उन लोगों को आर्थिक सहायता समेत विशेष सुविधाएं मिलेंगी, जो अपने परिवार के साथ नहीं रहते हैं ।
7. न केवल महिला जबकि पुरुष भी इस कार्ड को बनवा सकते है लेकिन उन्हें बीस या पच्चीस रूपये अतिरिक्त भुगतान करना होता है ।

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भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना

मुख्यमंत्री कार्यालय में भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग एवं न्यू इण्डिया एश्योरेन्स कम्पनी के बीच अनुबन्ध (एमओयू) पर हस्ताक्षर किये गये। इस योजना के अन्तर्गत साढ़े 4 करोड़ से अधिक प्रदेशवासी गुणवत्तापूर्ण कैशलेस स्वास्थ्य सुविधाओं का लाभ ले सकेंगे। राज्य सरकार के इस अभिनव प्रयास से गरीब लोगों को भी उन निजी चिकित्सा संस्थानों में इलाज कराने का मौका मिलेगा जिन्हें वह बाहर से देखा करते थे। आगामी दिसम्बर माह से लागू होने जा रही इस योजना में सरकार ने सुनिश्चित किया है कि प्रदेश की जनता को स्वास्थ्य संबंधी ऐसे लाभ मिल सकें, जो महाराष्ट्र एवं तमिलनाडु जैसे देश के अन्य राज्यों में भी स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत नहीं मिल रहे हैं। इस योजना में प्रतिवर्ष 370 करोड़ रुपये व्यय कर एक करोड़ परिवारों को स्वास्थ्य बीमा उपलब्ध कराया जायेगा। प्रदेश में स्वास्थ्य बीमा योजना के अन्तर्गत विभिन्न बीमारियों के कुल 1718 पैकेज निर्धारित किये गये हैं। प्रदेश में सामान्य बीमारियों के लिए 30 हजार रुपये एवं गम्भीर बीमारियों के लिए 3 लाख रुपये तक का बीमा कवर निर्धारित किया गया है। इस अवसर पर भामाशाह स्वास्थ्य बीमा योजना के ब्रोशर एवं बुकलेट का विमोचन भी किया।

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मुख्यमंत्री राजश्री योजना

मुख्यमंत्री राजश्री योजना का एक जून से होगा आगाज

मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे की बजट घोषणा के अनुसार राज्य में बालिकाओं के प्रति समाज में सकारात्मक सोच विकसित करने एवं उनके स्वास्थ्य तथा शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए एक जून से प्रदेश में मुख्यमंत्री राज श्री योजना लागू होगी। इस योजना के तहत एक जून या उसके बाद जन्म लेने वाली बालिकाएं लाभ की पात्र होंगी। योजना के क्रियान्वयन के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग नोडल विभाग होगा।

इस योजना के तहत एक जून या उसके बाद जन्म लेने वाली बालिका के जन्म पर एवं उसकी प्रथम वर्षगांठ पर 2500.2500 रुपए तथा राजकीय विद्यालय में प्रथम कक्षा में प्रवेश लेने पर चार हजार रुपए दिए जाएंगे। योजनान्तर्गत लाभान्वित होने वाली बालिकाओं को शिक्षा निरन्तर जारी रखने के लिए प्रोत्साहित करने हेतु एवं बालिका के शैक्षणिक स्तर में सुधार के लिए राजकीय विद्यालय में कक्षा 6 प्रवेश करने पर पांच हजार रुपए और कक्षा 10 में 11 हजार रुपए दिए जाएंगे। योजना के तहत राजकीय विद्यालय से 12वीं कक्षा उत्तीर्ण करने वाली बालिकाओं को 25 हजार रुपए दिए जाएंगे। इस तरह जन्म से लेकर 12वीं कक्षा उतीर्ण करने पर बालिकाओं को राज्य सरकार की ओर से विभिन्न चरणों में 50 हजार रुपए दिए जाएंगे। इस योजना में पारदर्शिता बनाए रखने के लिए योजना को भामाशाह कार्ड से भी जोड़ा जाएगा। इस योजनान्तर्गत एक जून या उसके बाद जन्म लेने वाली बालिकाएं ही योजना का लाभ लेने के लिए पात्र होंगी तथा प्रथम किश्त का लाभ लेने पर ही अन्य उत्तरवर्ती किश्ताें का लाभ देय होगा।

योजनान्तर्गत प्रथम दो किश्तों का भुगतान चिकित्साए स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग की ओर से जननी सुरक्षा योजना के अनुसार ही किया जाएगा। शेष चार किश्तों का भुगतान निदेशालय महिला अधिकारिता की ओर से किया जाएगा।

एक जून से बेटी जन्म पर मुख्यमंत्री राजश्री योजना

मुख्यमंत्री द्वारा बजट 2016-17 में घोषित मुख्यमंत्री राजश्री योजना 1 जून से प्रदेशभर में लागू हो जायेगी। उन्होंने बताया कि 1 जून से जन्मी बच्चियों को मुख्यमंत्री राजश्री योजना के तहत् चैक के द्वारा माता के नाम प्रथम किश्त 2500 रुपये की संबंधित चिकित्सा केन्द्र द्वारा दी जायेगी। बालिका की आयु 1 वर्ष होेने व सम्पूर्ण टीकाकरण होने पश्चात् 2500 रुपये की द्वितीय किश्त भी चैक द्वारा ममता कार्ड के आधार पर जारी की जायेगी। मिशन निदेशक राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन श्री नवीन जैन ने बताया कि इससे पूर्व जन्मी समस्त बच्चियों को शुभ लक्ष्मी योजना की शेष रही किश्तों का भुगतान पूर्वानुसार ही देय होगा। उन्होंने उन्होंने कि शिशु जन्म पर देय जननी सुरक्षा योजना का लाभ यथावत् ऑनलाईन ओजस सॉफ्टवेयर के माध्यम से ही देय होगा। इसके लिए समस्त संबंधित अधिकारियों को निर्देशित किया जा चुका है। श्री जैन ने बताया कि मुख्यमंत्री राजश्री योजना का लाभ मात्र राजस्थान प्रदेश की मूल निवासी प्रसूताओं को ही देय होगा। उन्होंने स्पष्ट किया कि योजना में देय अन्य किश्तों का भुगतान महिला एवं बाल विकास द्वारा नियमानुसार किया जायेगा।

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मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान

मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान

राजस्थान के करीब 42 हजार गांवों में जल स्वावलंबन बनाने की एक महत्वाकांक्षी योजना वसुंधरा राजे सरकार ने हाथ में ली है। इस अभियान की शुरुआत 27 जनवरी 2016 से हो चुकी है । उस दिन राजस्थान में 3529 गावो में जल स्वावलम्बन योजना का विधिवत आरम्भ हुआ । पहले साल करीब तीन हजार गांवों को जल स्वावलम्बी बनाने के लिए चिन्हित किया गया है। अगले तीन सालों में करीब 21 हजार गांवों को जोड़ते हुए उन्हें लाभान्वित किया जाएगा। यह एक ऐसी योजना है जिसमें जल स्वावलम्बन का सहारा स्थानीय स्त्रोतों(तालाब, जल संरक्षण) से लिया जा रहा है।
इसके तहत जल ग्रहण क्षेत्र, कल्स्टर, इण्डेक्स क्षेत्र में 2 को इकाई मानते हुए प्राकृतिक जल संसाधनों का प्रबंधन किया जाएगा। यह गांवों को जल की आवश्यकता की दृष्टि आत्म निर्भर बनाने व स्थायी समाधान की योजना है। यह योजना और अभियान जन सहभागिता से ही संभव होगा। राज्य की पंचायतों यहां तक कि अपनी पार्टी और इस योजना से जुड़े इनजीओ को भी इससे जोडऩा होगा। नदी (बरसाती), उसके जलग्रहण और प्रवाह क्षेत्र को अवरूद्ध करने वाले अवैध कब्जों को भी जनसहयोग से व गांव को व्यापक लाभ की दृष्टि से हटाने के लिए आम सहमति बनानी होगी। भूजल का अंधाधुंध दोहन न हो, खेती का पेटर्न बदले, फव्वारा एवं बूंद-बूंद सिंचाई पद्धति अपनाने के लिए किसानों एवं ग्रामीणों में जन चेतना जागृत करनी होगी। यह काम आदेशों व निर्देशों से नहीं होगा। इसके लिए तो संबंधित प्रशासनिक अधिकारी, मंत्री व जन प्रतिनिधि भी गांव-गांव पहुंचे और एक संकल्प के साथ लक्ष्य को पूरा करवाएं। जल स्वास्थ्य मंत्री किरण माहेश्वरी स्वयं राज्य में जल चेतना एवं जल प्रबंध जुटाने में सर्वाधिक सक्रिय हैं। वे सभी जल संसाधनों को बेहतर उपयोग के लिए वाटर-ग्रिड बनवाने और जल संसाधन विभाग से जल प्रबंधन एवं समन्वय स्थापित करने में सक्रिय हैं। हमें भी इस योजना की सफलता के लिए अग्रिम पंक्ति में खड़ा होना होगा।
1- क्या क्या कार्य होंगे ?
मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में जल संग्रहण के कार्य एनीकट, खड़ीन, टांका, पाइप लाइन, जोहड़, मिटटी के चैकडेम, जल संग्रहण ढांचा, फील्ड बंड, अनार के बगीचे, खेत तलाई मय प्लास्टिक शीट के साथ कृषि एवं चारागाह विकास के कार्य कराए जाएंगे। इसके अलावा लघु सिंचाई योजना के कार्य, जल संग्रहण ढांचों की क्षमता बढाने, पेयजल स्त्रोतों के सृदृढीकरण, कृत्रिम भू जल पुर्नभरण कार्य, पौधारोपण के साथ फसल एवं उद्यानिकी की उन्नत विधियों को बढावा देकर व्यवसायिक खेती अथवा आधुनिक खेती को बढावा देने के प्रयास किए जाएंगे।
2- ग्रामीणों एवं स्वयंसेवी संस्थाणों की भागीदारीः मुख्यमंत्री जल स्वावलंबन अभियान में सीएसआर के तहत स्वयंसेवी संस्थाएं, धार्मिक संस्थाएं, गैर आवासी ग्रामीण, आमजन अपनी भागीदारी निभा सकते है। वहीं ग्रामीण अभियान में ट्रेक्टर, जेसीबी, सीमेंट, गिटटी, धन एवं श्रम आदि का दान देकर अपना योगदान दे सकते है।
3- चार वर्ष तक चलेगा अभियानः मुख्यमंत्री जल स्वावलम्बन अभियान आगामी चार वर्ष तक चलेगा। इससे प्रदेश के 21 हजार गांव लाभांवित होंगे। इसके तहत चयनित गांव में जल की मांग का आंकलन करने के बाद पानी की कमी दूर करने के लिए नए जलसंग्रहण ढ़ाचों के निर्माण के साथ अन्य गतिविधियों का चयन करते हुए उनको क्रियान्वित किया जाएगा।अगले 3 वर्षों में इस अभियान के माध्यम से प्रदेश भर के 9 हजार से भी ज्यादा गाँवों को स्वच्छ पेयजल एवं जल भंडारण की सुविधाओं से युक्त किया जाएगा।
मैं हमारे प्रदेश की यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी की इस अनूठी पहल के लिए उनका आभार व्यक्त करता हू की उन्होंने हमारे प्रदेश में जल की कमी को जल स्वावलंबन योजना के तहत पूरा करेंगी एवं इस कार्य में हम सभी को पुरजोर साथ देना होगा जिससे हमारे प्रदेश में सूखा कम होगा एवं प्रदेश में खुशहाली आएगी जिससे किसानों एवं सभी ग्रामीण एवं शहरी लोगो को बहुत लाभ होगा ।

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मुख्यमंत्री जन आवास योजना

हमारे प्रदेश में आवास की कमी को देखते हुए वसुंधरा सरकार ने बहुत ही महत्वपूर्ण योजना चालू की है मुख्यमंत्री जन आवास योजना इससे आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लोगो के ऊपर ध्यान दिया जायेगा हमारी यशस्वी मुख्यमंत्री श्री वसुंधरा राजे जी ने यह योजना हमारे प्रदेश में जो लोग बिना आवास के या फिर आर्थिक रूप से सक्षम नहीं है उन लोगो के लिए चालू की है और इसका उद्देश्य पूरे प्रदेश में सभी लोगो को आवास की सुविधा उपलब्ध करवाना है ।
1- 18 लाख मकान बनाने का लक्ष्य- प्रदेश में 2022 तक साढ़े 10 लाख मकानों की आवश्यकता महसूस की जा रही है। इनमें से 8 5 फीसदी मकान आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग की जरूरत के होंगे। सरकार ने 18 लाख मकान बनाने का लक्ष्य तय किया है। ये सस्ते दर पर मकानों के चार मॉडल बनाए जा रहे हैं। ये आवास आरक्षित दर के 25 व 6 0 प्रतिशत दर पर आवंटित होंगे। फ्लैटों का आवंटन 1250 रुपए प्रतिवर्ग फीट की दर से निर्धारित किया गया है। इसके अलावा आवास खरीदने के लिए जो बैंकों से ऋ ण मिलेगा उस पर लगने वाले ब्याज का कुछ भार सरकार अपने स्तर पर वहन करेगी।
2-इस तरह से बनेंगे मकान-सभी निजी बिल्डर्स को ऐसे मकान बनाने की छूट होगी। इसमें सरकारी व निजी हाउसिंग योजनाओं में बेचने योग्य जमीन में से 10 फीसदी हिस्सा एलआईजी और ईडब्लूएस यानी लोअर इनकम ग्रुप व इकॉनोमिकली वीकर सेक्शन के लिए रखा जाएगा। जबकि निजी टाउनशिप में यह 7 फीसदी होगा। जबकि हाउसिंग बोर्ड अपनी योजनाओं में 50 फीसदी जगह इनके लिए रखेगा।
3-जेडीए और यूआईटीज की 25 प्रतिशत भूमि योजना के लिए- जेडीए और यूआईटीज के लिए 25 प्रतिशत भूमि पर इस तरह के मकान बनाना अनिवार्य होगा। बिल्डर भी अपनी जमीन पर ईडब्लूएस व एलआईजी के मकान बना सकेंगे। इसके बदले बिल्डर को 2.25 एफएआर तक फ्री एफएआर मिलेगा। इसके लिए निकायों से समझौता जरूरी होगा, लेकिन इसके अलावा बिना समझौते के भी बिल्डर ऐसे मकान बना सकेंगे। मकान बनाए जाने पर लोगों को मुख्यमंत्री जन आवास योजना का फायदा दिया जा सकेगा।
4-किसके लिए कितनी जमीन- प्राथमिक, उच्च प्राथमिक व निशक्तजन स्कूलों के लिए 2000 से 3000 वर्ग मीटर जमीन आवंटित की जाएगी। माध्यमिक व उच्च माध्यमिक स्कूलों के लिए 4 से 6 हजार वर्ग मीटर तक जमीनों का आवंटन। कॉलेज के लिए 10 से 13 हजार वर्ग मीटर और यूनिवर्सिटीज के लिए 30 से 40 एकड़ जमीन का इसके तहत आवंटन किया जाएगा। इसके अलावा 25 बैड तक के अस्पताल के लिए 2 से 3 हजार वर्ग मीटर तक, 100 बैड तक के अस्पताल के लिए 6 से 8 हजार वर्ग मीटर तक जमीन, स्पेशियलिटी हॉस्पीटल के लि 4 से 6 हजार वर्ग मीटर और पशु चिकित्सालय के लि 4 से 6 हजार वर्ग मीटर तक जमीनों का आवंटन किया जा सकेगा।
मैं हमारे प्रदेश की यशस्वी मुख्यमंत्री श्रीमती वसुंधरा राजे जी की इस अनूठी पहल के लिए उनका आभार व्यक्त करता हू की उन्होंने हमारे प्रदेश में आवास की कमी को मुख्यमंत्री जन आवास योजना के तहत पूरा करेंगी एवं इससे अल्प आय वाले वर्ग एवं निर्धन लोगो को बहुत लाभ होगा एवं सभी ग्रामीण एवं शहरी लोगो को बहुत लाभ होगा ।

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गौरव पथ योजना

गौरव पथ योजना का उद्देश्य

  • गौरव पथ योजना का उद्देश्य ग्राम पंचायतों में पक्की सड़क का निर्माण करना है।
  • ग्रामीण गौरव पथ योजना के अंतर्गत राजस्थान सरकार का प्रयास है कि सभी ग्राम पंचायतों में एक गौरव पथ जरुर बने।
  • ग्रामीण गौरव पथ योजना की शुरुआत झालावाड़ जिले के ग्राम पंचायत मुख्यालय समराई से की गई है।
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सांसद आदर्श ग्राम योजना

सांसद आदर्श ग्राम योजना की मान्यताएं

  • लोगों की भागीदारी को स्वीकार करना जैसा समस्याओं का अपने आप में समाधान है-सुनिश्चित करें कि समाज के सभी वर्ग ग्रामीण जीवन से संबंधित सभी पहलुओं से लेकर शासन से संबंधित सभी पहलुओं में भाग लें।
  • अंत्योदय का पालन करें- गांव के 'सबसे गरीब और सबसे कमजोर व्यक्ति "को अच्छी तरह जीवन जीने केल लिए सक्षम बनाएँ।
  • लैंगिक समानता और महिलाओं के लिए सम्मान सुनिश्चित करें।
  • सामाजिक न्याय की गारंटी को सुनिश्चित करें।
  • श्रम की गरिमा और सामुदायिक सेवा और स्वैच्छिकता की भावना को स्थापित करें।
  • सफाई की संस्कृति को बढ़ावा दें।
  • प्रकृति के सहचर के रुप में रहने के लिए-विकास और पारिस्थितिकी के बीच संतुलन सुनिश्चित करें।
  • स्थानीय सांस्कृतिक विरासत संरक्षण और प्रोत्साहन दें।
  • आपसी सहयोग, स्वयं सहायता और आत्म निर्भरता का निरंतर अभ्यास करना।
  • ग्रामीण समुदाय में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देना।
  • सार्वजनिक जीवन में पारदर्शिता, जवाबदेही और ईमानदारी बरतना।
  • स्थानीय स्वशासन की भावना को विकसित करना।
  • भारतीय संविधान में उल्लेखित मौलिक अधिकारों और मौलिक कर्तव्यों में प्रतिष्ठापित मूल्यों का पालन करना।

उद्देश्य

मुख्य उद्देश्यों में शामिल हैं- 
1 . पहचानी गईं ग्राम पंचायतों के समग्र विकास के लिए नेतृत्व की प्रक्रियाओं को गति प्रदान करना। 
2 . जनसंख्या के सभी वर्गों के जीवन की गुणवत्ता के स्तर में सुधार निम्न माध्यमों से करना

  • बुनियादी सुविधाएं में सुधार
  • उच्च उत्पादकता
  • मानव विकास में वृद्धि करना
  • आजीविका के बेहतर अवसर
  • असमानताओं को कम करना
  • अधिकारों और हक की प्राप्ति
  • व्यापक सामाजिक गतिशीलता
  • समृद्ध सामाजिक पूंजी

3 . स्थानीय स्तर के विकास और प्रभावी स्थानीय शासन के मॉडल इस प्रकार बनाना जिससे आस-पड़ोस की पंचायतें प्रेरित और प्रोत्साहित होकर उन मॉडल को सीखने और अपनाने के लिए तैयार हों।
4 . चिंहित आदर्श ग्राम को स्थानीय विकास के ऐसे केंद्रों के रुप में विकसित करना जो अन्य ग्राम पंचायतों को प्रशिक्षित कर सकें।

दृष्टिकोण

1 . इन उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए, एसएजीवाई को निम्नलिखित दृष्टिकोण से निर्देशित किया जाएगा- 
2 . मॉडल ग्राम पंचायतों को विकसित करने के लिए संसद (सांसद) सदस्य के नेतृत्व, क्षमता, प्रतिबद्धता और ऊर्जा का इस्तेमाल करना 
3 . स्थानीय स्तर के विकास के लिए समुदाय को जोड़ना और पहल के प्रेरित करना 
4 . लोगों की आकांक्षाओं और स्थानीय क्षमता के अनुरूप व्यापक विकास करने के लिए विभिन्न सरकारी कार्यक्रमों, निजी और  5 . स्वैच्छिक पहल का समन्वय करना 
6 . स्वैच्छिक संगठनों, सहकारी समितियों और शैक्षिक और अनुसंधान संस्थानों के साथ भागीदारी विकसित करना
7 . परिणामों और स्थिरता पर ध्यान केंद्रित करना

आदर्शग्राम की गतिविधियां

एक आदर्श ग्राम में ग्राम पंचायत, नागरिक समाज और सरकारी मशीनरी में लोगों को दृष्टिकोण साझा करने, उनकी अपनी क्षमताओं और उपलब्ध संसाधनों का हर संभव सर्वोत्तम उपयोग करने विधिवत तरीके से सांसद द्वारा समर्थित होना चाहिए। स्वाभाविक रूप से एक आदर्श ग्राम संदर्भ विशिष्ट होगा। हालांकि, पक्के तौर पर महत्वपूर्ण गतिविधियों की पहचान करना अभी भी बाकी है।

SAGY

आदर्श ग्राम योजना के दिशानिर्देशों को हिंदी में पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें।

योजना से जुड़ी नवीनतम जानकारी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सासंद आदर्श गांव के तहत गोद लिया गया गांव जयापुर

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा सासंद आदर्श गांव के तहत गोद लिया गया गांव जयापुर बनारस से 25 किलोमीटर दूर स्थित है। मिश्रित जनसंख्या वाले इस गांव में कई जाति व समुदाय के लोग मिलजुल कर रहते हैं। कहा जाता है कि यह गांव शुरू से ही संघ का गढ़ रहा है।

गांव की जनसंख्या 2974 है। इसमें पुरुषों की संख्या 1541 है जबकि महिलाओं की संख्या 1433। यहां के लोगों का मुख्य व्यवसाय खेती है। मूलभूत सुविधाओं से यह गांव महरूम है। यहां न तो कोई स्वास्थ्य केंद्र है न मिडिल स्कूल। यहां कोई पशु चिकित्सालय भी नहीं है। लोगों को कई सुविधाओं के लिए पास के गांव जक्खिनी जाना पड़ता है।

सेवापुरी विध For more detail Click here

पालनहार योजना

पालनहार योजना :

अनाथ बच्चों के पालन-पोषण, शिक्षा आदि की व्यवस्था संस्थागत नहीं की जाकर समाज के भीतर ही बालक/बालिका के निकटतम रिश्तेदार/परिचित व्यक्ति के परिवार में करने के लिए इच्छुक व्यक्ति को पालनहार बनाकर राज्य की ओर से आर्थिक सहायता देना है। वर्तमान में निम्न श्रेणियों को लाभान्वित किया जा रहा है:-

1    अनाथ बालक/बालिका।

2    न्यायिक प्रक्रिया से मृत्यु दण्ड/आजीवन कारावास प्राप्त माता-पिता के बच्चें।

3    निराश्रित पेंशन की पात्र विधवा माता की तीन संतान।

4    पुर्नविवाहित विधवा माता के बच्चें।

5    एड्स पीडि़त माता/पिता के बच्चें।

6    कुष्ठ रोग से पीडि़त माता/पिता के बच्चें।

7    नाता जाने वाली माता की तीन संतान।

8    विकलांग माता-पिता की संतान।

9    तलाकशुदा/परित्यक्ता महिला की संतान।

पालनहार परिवार की वार्षिक आय 1.20 लाख रूपये से अधिक नहीं होनी चाहिए।

वर्तमान में योजनान्तर्गत नवीन आवेदन www.ssdg.rajasthan.gov.in  वेबसाइट पर आँनलाइन प्रकिया से प्राप्त किये जा रहे है।

 

पालनहार को अनुदान राशि :-

1.         0-5 वर्ष तक की आयु के बच्चे हेतु – 500 रूपये प्रतिमाह -आंगनबाड़ी जाना अनिवार्य.

2.         18 वर्ष तक की आयु के बच्चें हेतु – 1000 रूपये प्रतिमाह -विद्यालय जाना अनिवार्य.

3.         वस्त्र, स्वेटर, जूते आदि हेतु – 2000 रूपये वार्षिक -विधवा पालनहार व नाता पालनहार में देय नहीं.

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समेकित बाल संरक्षण योजना (आई.सी.पी.एस.)

भारत सरकार द्वारा 11वीं पंचवर्षीय योजना के तहत बाल संरक्षण हेतु व्यापक ढांचा तैयार कर बच्चों हेतु सुदृढ़ संरक्षित परिवेश तैयार करने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर स्मोकित बाल संरक्षण योजना आई.सी.पी.एस.लागू की गई है। इस योजना के प्रभावी -क्रियान्वयन से निम्न  की उद्देश्यों पूर्ति हो सकेगी:-

1.            संकटग्रस्त बच्चों हेतु उपलब्ध सेवाओं एवं आव’यकताओं का आंकलन कर व्यवस्था निर्माण करना।

2.            राज्य/जिला/ब्लॉक/ग्राम स्तर पर बाल संरक्षण संस्थाओं की स्थापना एवं संचालन करना।

3.            बाल संरक्षण सेवाओं का सुदृृढि़करण तथा इनकी पंहुच एवं गुणवत्ता में सुधार करना।

4.            बच्चों को संस्थागत देखभाल के अतिरिक्त गैर संस्थागत परिवार आधारित देख-रेख विकल्पों को मजबूत करना और बढ़वाा देना।

5.            सेवा प्रदाताओं की क्षमतावद्वर्न, ज्ञान, जागरूकता करना।

6.            साक्ष्य आधारित निगरानी एवं मूल्यांकन एवं सेवा नियोजन निर्णय लेने हेतु वेब आधारित डाटाबेस तैयार करना।

7.            निगरानी एवं मूल्यांकन करना।

8.            सभी स्तर पर बाल संरक्षण हेतु भागीदारी बढ़नाा।

9.            अन्य निकायों/संबं-िधत विभागों/संस्थाओं के साथ समन्यवय बनाना।

राज्य में योजना का -क्रियान्वयन करने के लिए भारत सरकार व राज्य सरकार के मध्य दिनांक 06.01.2010 को अनुबंध पत्र निष्पादित किया गया, जिसमें विभीन घटकों को समयबद्ध क्रियान्वित करने के लिए योजना का प्रारूप्ा तैयार किया जा कर -क्रियान्वयन किया जा रहा है। उक्त एम.ओ.यू. में निर्धारित मापदण्डों के अनुसार योजनान्तर्गत वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है। योजना के प्रभावी – क्रियान्वयन के लिए राज्य सरकार द्वारा वि-िभन्न नियमित पदों का सृृजन किया जा चुका है जिनके तहत कुछ पदों को भरा गया है। योजनान्तर्गत निम्न संस्थाऐं/कार्य किये गये हैं:-

राजस्थान स्टेट चाइल्ड प्राेटेक्शन सोसायटी :

समेकित बाल संरक्षण योजना के प्रावधानानुसार योजना के – क्रियान्वयन हेतु राज्य स्तर पर राजस्थान स्टेट चाइल्ड प्राेटेक्शन सोसायटी की स्थापना कर दी गई है। यह सोसायटी राज्य में वि-िभन्न बाल संरक्षण कार्यक्रमों/कानूनों/नीतियों के क्रियान्वयन सुनिश्चित करने के लिए उत्तरदायी है। इस सोसायटी के अध्यक्ष के रूप में प्रमुख शासन सचिव एवं मुख्य कार्यकारी अधिकारी के रूप में विभाग के निदेशक है। सोसायटी एवं विभाग की गतिवि-िधयों के प्रभावी संचालन एवं बाल संरक्षण विषयों पर यूनीसेफ, राजस्थान द्वारा तकनीकी एवं वित्तीय सहयोग उपलब्ध कराया जा रहा है।

राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी :

राज्य में स्वदेशी दत्तक ग्रहण को प्राेत्साहन देने व अन्तरदे’ाीय दत्तक ग्रहण के विनियमन, राज्य स्तर पर प्रवर्तकता, पालन पोषण देखरेख सहित परिवार आधारित गैर संस्थागत कार्यक्रम के प्राेत्साहन-कार्यान्वयन-पर्यवेक्षण-निगरानी हेतु राजस्थान सरकार द्वारा राज्य स्तर पर ”राज्य दत्तक ग्रहण संसाधन एजेंसी ”सारा” की स्थापना की गई है। निदेशक, बाल अधिकारिता इस एजेंसी में सचिव के रूप में कार्यरत् है।

जिला बाल संरक्षण इकाई :

योजनान्तर्गत राज्य के समस्त 33 जिलो में ”जिला बाल संरक्षण ईकाई” की स्थापना का बाध्यकारी प्रावधान किया गया है। इकाई का कार्य जिला स्तर पर बाल संरक्षण कार्यक्रमों के प्रभावी कियान्वयन एवं निगरानी सुनि-ि’चत करना, जोखिम-देखभाल-संरक्षण वाले बच्चों के लिए वैयक्तिक देखरेख कार्यØम बनाना, आईसीपीएस के कार्यØम/घटकों के कार्यान्वयन हेतु प्रति-िष्ठत संगठनों को चि-िन्हत कर समर्थन देना, प्रवर्तकता-पालन पोषण देखरेख-दत्तक ग्रहण-अनुवर्ती देखरेख सहित परिवार आधारित गैर संस्थागत सेवाओं के कियान्वयन में सहयोग करना आदि है। इकाई पर समग्र प्र’ासानिक नियंत्रण जिला कलक्टर का है। राजस्थान स्टेट चाईल्ड प्राेटेक्शन सोसायटी की जिला शाखाओं के रूप्ा मे दिनांक          25.06.2011 के जरिये प्रत्येक जिले में ”जिला बाल संरक्षण ईकाई” की स्थापना की गई है।

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मुख्यमंत्री हुनर विकास योजना

मुख्यमंत्री हुनर विकास योजना ः

 

योजनान्तर्गत 17 से 21 आयु वर्ग पालनहार योजना के लाभान्वि बच्चे तथा राजकीय/ अनुदानित बाल गृहों बच्चों को तकनीकी, व्यवसायिक उच्च शिक्षा हेतु आर्थिक सहायता दिये जाने का प्रावधान है, जिससे कि बच्चों कोे समाज की मुख्यधारा से जोड़कर स्वावलम्बी बनाया जा सके।

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पहल योजना

पहल योजना :

राज्य में संकटग्रस्त एवं विषम परिस्थितियों में लिप्त बच्चों को मुक्त कराने में सहयोग करने वाले व्यक्ति/गैर-सरकारी संगठनो को सहायतार्थ राशि पुरस्कार स्वरूप दिये जाने हेतु पहल योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है, यह योजना 2013 में नवाचार के रूप में प्रारम्भ की है। जिसका मुख्य उद्दशय निम्न प्रकार है:-

  1. समाज में बाल अधिकार और बाल संरक्षण को सुनिश्चित करने का प्रयास करना।
  2. ऐसे व्यक्तियों/एजेंसियों के खिलाफ कार्यवाही कर उन्हें कानून के शिकंजे में लाना जो अपने लाभ के लिये बच्चों के अधिकारों का हनन कर रहें है।
  3. समाज को बाल अधिकार पर जागरूक करना एवं इस कार्य के लिये उनकी भागीदारी सुनिश्चित करना।
  4. बच्चों को संकटग्रस्त एंव विषम परिस्थतियों से मुक्त कराने में सहयोग देने पर पुरस्कार प्रदान करना।
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असिस्ट योजना

Available only in English.

 

Part – A Details of the Project

Eligibility criteria

  1. A child becomes an orphan or destitute in the sense that either both the parents or the surviving parent or the main bread winner is killed or permanently incapacitated because of communal, caste, ethnic or terrorist violence.
  2. The annual income of the victim’s family does not exceed rupees one lakh.
  3. Child is not receiving any assistance on regular basis from any other source (one time financial assistance provided by state government /union territory administration for such victim is not considered as another source of assistance for this purpose).
  4. Assistance is admissible up to the age of 25 years. However, if a child remains for more than 3 consecutive years in a class he / she will not be eligible to get the assistance.

 

Identification of eligible children

  1. District Committee under the District Magistrate/Collector or Deputy Commissioner, having members such as Superintendent of Police, District Social Welfare Officer, District Education Officer, District Child and Women Development Officer, identifies beneficiaries and verifies their eligibility.
  2. District Committee decides about the mode of assistance i.e. through child’s own family, relative, educational institution, legal guardian, foster parents, children’s home, etc.
  3. District Committee sends its recommendations to the Foundation in the prescribed form (Annexure- II).

 

Scale of assistance

Class / Course Amount
Upto Class XII Rs. 1000/- p.m. per child
Graduation / Post Graduation Rs. 1250/- p.m. per child
Professional courses viz Medical, Engineering & Management Rs. 1500/- p.m. per child

 

Sanction and remittance

 District Magistrate/Collector/ Deputy Commissioner opens a separate bank account under the name of “District Committee, National Foundation for Communal Harmony, District _____________.” Account is operated jointly by any two of the officers nominated by the District Magistrate/Collector viz. District Magistrate/Collector/ Deputy Commissioner, District Social Welfare Officer or the District Treasury Officer.
 Assistance is payable in advance annually in the first quarter of the academic year. This is credited to the account of the recipient maintained in a scheduled bank after due verification.
 In the month of April every year, concerned District Magistrate/Collector/ Deputy Commissioner shall send a report to the Foundation about position of funds sanctioned by the National Foundation for Communal Harmony under the Project Assist during the last financial year and funds available, if any, from earlier years in the following proforma.

Position of funds for the year ending
Details of amount received from the Foundation for payment of assistance to children Details of disbursement Reasons for non-payments of balance amount
Letter No. Date Amount (Rs.)
Date of payment Amount paid (Rs.) Amount balance(Rs.)
 

 

Recommendations for continuance of assistance

District Magistrate/Collector/ Deputy Commissioner furnishes the following certificates to justify continuation of assistance within one month of the commencement of the next academic session every year. Fresh applications are not required and should not be sent with the proposal for renewal of assistance.
a) Utilization certificate to the effect that the amount of financial assistance released till date under the Project Assist has been disbursed on ____________ (date to be mentioned) to the beneficiary;
b) the child for whom financial assistance now being recommended, is actually studying in an educational institution or is undergoing training for acquiring skills to better his/ her employment prospects. (Not applicable if the child is below 5 years of age); and
c) continuance of further financial assistance to the child beyond __________ (period to be mentioned) is considered essential and hence recommended.
 Current study certificate from the educational institution (specimen – A at Annexure II), photocopy of annual examination result card and current income certificate of the family issued by the Tehsildar (specimen – B at Annexure II). The income certificate once issued shall be valid for a period of three years. In case, any parent or guardian of the child gets a job during that period that should be declared voluntarily to the district authorities, who in turn would inform this to the Foundation immediately.
 Release of financial assistance is subject to furnishing of the above certificates / documents.
 

Number of children getting assistance

 As on 31.03.2013, 11198 children were covered under Project Assist in 19 States and a union territory.
 A sum of Rs. 5.09 crore was released as assistance to 4103 children during 2012-13.
 Rs. 48.98 crore has been paid as assistance up to 31.03.2013.
 165 fresh cases were approved and 3938 cases renewed for grant of assistance under Project Assist during 2012-13.

Part – B Collaboration with Nodal Agencies in some States

The Foundation collaborates with the following organisations:

i. Aashwas, a unit functioning under the Assam Police, is helping the Foundation in identifying child victims of militancy, terrorism or ethnic / communal violence in Assam who are being provided financial assistance by NFCH. Aashwas coordinates with all district authorities to help violence affected children to get timely assistance.
[Address: Aashwas, O/o Addl. DGP (TAP), Assam Police Headquarters, Ulubari, Guwahati - 781007 Phone: 0361 - 2453187] 

ii. Council for Rehabilitation of Widows, Orphans, Handicapped and Old Persons, Govt. of Jammu & Kashmir is working for victims of militancy. The council has been helping the Foundation in identifying child victims of terrorism in the State of Jammu & Kashmir by coordinating with district authorities.
[Address: Council for Rehabilitation of Widows, Orphans, Handicapped and Old Persons, Social Welfare Department, Civil Secretariat, Jammu / Srinagar, J&K
Phone: 0191-2572320 (Jammu - May to October) 0194 - 2458928 (Srinagar - November to April) ]

Department of Child Rights is a nodal department at State Level and District Child Protection Unit is a nodal department in each district for implementing and monitoring of this Programme. For more details about the Scheme

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फोस्टर केयर

राजस्थान पालन-पोषण (फोस्टर केयर) नियम, 2014

किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) अधिनियम, 2000 की धारा 42 एवं राजस्थान किशोर न्याय (बालकों की देखरेख और संरक्षण) नियम, 2011 के नियम 34 एवं 35 के तहत पारिवारिक देखभाल उपलब्ध कराने के लिए पालन-पोषण देखभाल (फोस्टर केयर) कार्यक्रम संचालित किया जाना है। समेकित बाल संरक्षण योजना के तहत भी पालन-पोषण देखभाल (फोस्टर केयर) को लागू करने के संबंध में आवश्यक वित्तीय प्रावधान उपलब्ध कराए गए है।

राज्य में पालन-पोषण देखभाल (फोस्टर केयर) नियम के तहत उपेक्षित बच्चे जिन्हें किन्हीं कारणों से दत्तक ग्रहण (गोद) में नहीं दिया जा सकता है अथवा ऐसे बच्चे जो लंबे समय से विभिन्न श्रेणी के गृहों में आवासरत है, की परिवार की आवश्यकताओं, स्नेह, देखभाल, स्वास्थ्य एवं भावनात्मक अपनत्व की पूर्ति एवं उनके सर्वोत्तम हित को ध्यान में रखते हुए संस्थागत देखभाल के स्थान पर परिवार के माध्यम से सुनिश्चित की जायेगी।

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अन्नपूर्णा भन्डार योजना

annapurna

अन्नपूर्णा भंडार योजना

जनसाधारण को उच्च गुणवत्ता की मल्टी ब्राण्ड उपभोक्ता वस्तुऐं प्रतिस्पर्धी दरों पर उचित मूल्य दुकानों के माध्यम से उपलब्ध कराने हेतु अन्नपूर्णा भण्डार योजना लागू की गई है।

योजना के मुख्य बिन्दु

•अन्नपूर्णा भण्डार योजना देश में सार्वजनिक एवं निजी सहभागिता के अन्तर्गत सार्वजनिक वितरण प्रणाली के आधुनिकीकरण की एक अनूठी योजना है। • इसके अन्तर्गत उपभोक्ताओं को उच्च गुणवत्तायुक्त मल्टी ब्राण्ड उपभोक्ता वस्तुएँ उचित एवं प्रतिस्पर्धात्मक दरांे पर प्राप्त होंगी। •यह देश का एक बहुत बडा उद्यमशीलता अभियान है जिसके अन्तर्गत प्रथम चरण में राज्य भर में पाँच हजार उचित मूल्य की दुकानो के डीलर्स उद्यमियों के रूप में कार्य करेंगे। •बेचे जाने वाले सामान पर उचित मूल्य के दुकानदार को 40 प्रतिशत लाभ प्राप्त होगा तथा शेष 60 प्रतिशत लाभ उपभोक्ताओं को दरों में छूट के रूप में प्राप्त होगा। •उचित मूल्य दुकानदार द्वारा आपूर्तिकर्ता फर्म को 10 दिन के अन्दर भुगतान करना होगा। नगद भुगतान पर उचित मूल्य दुकानदार को 02 प्रतिशत तक ‘‘नगद भुगतान छूट‘‘ प्राप्त होगी। •इस नवाचार के माध्यम से लोगों को सार्वजनिक वितरण प्रणाली व आधुनिक खुदरा व्यापार प्रणाली का दोहरा लाभ प्राप्त होगा।

अधिक जानकारी के लिए देखें ः-

http://annapurnabhandarrajasthan.in/about.aspx

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रोजगारोन्मुखी कौशल प्रशिक्षण कार्यक्रम (ELSTP)

इस कार्यक्रम में निगम द्वारा जिले में 2222 युवाओं को विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षित किया गया है उसमे से लगभग 1200 से अधिक युवाओं को रोजगार दिया गया है. अभी वर्तमान में 5 कौशल प्रशिक्षण केंद्र संचालित किये जा रहे है. जिसमे 419 युवा प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे है. इस योजना के अंतर्गत न्यूनतम 50 % युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान किये जाते है. वर्तमान में मुख्यतः निर्माण कार्य, सिक्यूरिटी गार्ड, सुचना एवं प्रोधोगिकी, इलेक्ट्रीशियन एवं अन्य प्रकार के कोर्स में युवाओं को दक्ष किया जा रहा है.

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दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल योजना

परिचय

समावेशी विकास के लिए कौशल विकास

वर्ष 2011 की जनगणना के अनुसार भारत के ग्रामीण क्षेत्रों में 15 वर्ष से लेकर 35 वर्ष की उम्र के बीच के 5.50 करोड़ संभावित कामगार हैं। इससे भारत के लिए अपनी अतिरिक्‍त जनसंख्‍या को एक जनसांख्यिक लाभांश के रूप में परिणत करने का एक ऐतिहासिक अवसर सामने आ रहा है। ग्रामीण विकास मंत्रालय ने गरीब परिवारों के ग्रामीण युवाओं के कौशल विकास और उत्‍पादक क्षमता का विकास के बल पर  दीनदयाल उपाध्‍याय ग्रामीण कौशल्‍य योजना (डीडीयू-जीकेवाई) के कार्यान्‍वयन से देश के समावेशी विकास के लिए इस राष्‍ट्रीय एजेंडे पर जोर दिया है।

आधुनिक बाजार में भारत के ग्रामीण निर्धनों को आगे लाने में कई चुनौतियां हैं, जैसे औपचारिक शिक्षा और बाजार के अनुकूल कौशल की कमी होना। विश्‍वस्‍तरीय प्रशिक्षण, वित्‍तपोषण,  रोजगार उपलब्‍ध कराने पर जोर देने, रोजगार स्‍थायी बनाने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने जैसे उपायों के माध्‍यम से डीडीयू-जीकेवाई इस अंतर को पाटने का काम करती है।

योजना की विशेषताएं

  • लाभकारी योजनाओं तक निर्धनों और सीमांत लोगों को पहुंचने में सक्षम बनाना
  • ग्रामीण गरीबों के लिए मांग आधारित नि:शुल्‍क कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना
  • समावेशी कार्यक्रम तैयार करना
  • सामाजिक तौर पर वंचित समूहों (अजा/अजजा 50 प्रतिशत, अल्‍पसंख्‍यक 15 प्रतिशत, महिला 33 प्रतिशत) को अनिवार्य रूप से शामिल करना।
  • प्रशिक्षण से लेकर आजीविका उन्‍नयन पर जोर देना
  • रोजगार स्‍थायी करने, आजीविका उन्‍नयन और विदेश में रोजगार प्रदान करने के उद्देश्‍य से पथ-प्रदर्शन के उपाय करना।
  • नियोजित उम्‍मीदवारों के लिए अतिरिक्‍त सहायता
  • नियोजन-पश्‍चात  सहायता, प्रवास सहायता और पूर्व-छात्र नेटवर्क तैयार करना।
  • रोजगार साझेदारी तैयार करने की दिशा में सकारात्‍मक पहल
  • कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षित उम्‍मीदवारों के लिए रोजगार की गारंटी करना।
  • कार्यान्‍वयन साझेदारों की क्षमता बढ़ाना
  • प्रशिक्षण सेवा प्रदान करने वाली नई एजेंसियां तैयार करके कौशल विकास करना।
  • क्षेत्रीय तौर पर जोर देना
  • जम्‍मू-कश्‍मीर (हिमायत), पूर्वोत्‍तर क्षेत्र और वामपंथी उग्रवाद से प्रभावित 27 जिले (रोशिनी) में निर्धन ग्रामीण युवाओं के लिए परियोजनाओं पर अधिक जोर देना।
  • स्‍तरीय सेवा वितरण
  • कार्यक्रम से जुडी सभी गति‍विधियां स्‍तरीय संचालन प्रक्रिया पर आधारित होंगी जो स्‍थानीय निरीक्षकों द्वारा बताए जाने के लिए नहीं हैं। सभी प्रकार के निरीक्षण भू-स्‍थैतिक प्रमाण, समय के विवरण सहित वीडियो/तस्‍वीरों द्वारा समर्थित होंगे।

 

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